गोविन्द जय जय गोपालजय जय भये प्रगट गोपाला परम दयाला, यशुमति के हितकारी। हरषित महतारी रूप निहारी, मोहन मदन मुरारी। जब इन्द्र रिसाई, मेघ पठाई बस कर ताहि मुरारी। गो द्विज हितकारी, सुर मुनि धारी नख पर गिरवर धारी ¬ * háppý jáńmáśhtmí*¬ !!जय श्री हरि:!! |
आली , सांवरे की दृष्टि मानो, प्रेम की कटारी है॥ लागत बेहाल भई, तनकी सुध बुध गई , तन मन सब व्यापो प्रेम, मानो मतवारी है॥ háppý jáńmáśhtmí | चंदको चकोर चाहे, दीपक पतंग दाहै, जल बिना मीन जैसे, तैसे प्रीत प्यारी है॥ बिनती करूं हे स्याम, लागूं मैं तुम्हारे पांव, मीरा |
Bhaja Govindam, Bhaja Govindam
Govindam Bhaja Mooda Mathe
Samprapthe sannihithe kale
Nahi nahi rakshathi dookrunj karane
Pray Govinda, Pray Govinda
Pray Govinda, You fool
For all the ken with you
Will not be there
When your end is near
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और आप के परीवार जनो को हार्दिक शुभकामनायें..
!!हरे कृष्ण..हरे कृष्ण..कृष्ण..कृष्ण...हरे हरे !!
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